VIEW HYMN

Hymn No. 56 | Date: 22-Nov-1996
Text Size
परम् प्रिय गुरूवर, गुरूओं के गुरू, परम् गुरू महावतार बाबाजी
परम् प्रिय गुरूवर, गुरूओं के गुरू, परम् गुरू महावतार बाबाजी
को अर्पित करता हूँ, ये गीत उनको जो हर काल में है विराजमान ।
पाना है, पाना है मुझको तुझको है पाना ।
सब कुछ खोकर मुझको तुझको है पाना ।
सब कुछ खोकर मिल गया तू मुझको,
खोने का गम, तब होगा न मुझको ।
इस बार तुझसे मिल कर ना है बिछुडना,
चाहें पड़े तेरी रूसवाइयों को मुझको सहना ।
तनहाइयों से ना हूँ में डरता अब,
डरता हूँ तो अब तुझसे दूर रहने से ।
खता की सजा चाहे जो तू मुझको दे देना,
पर ना अब मुझको तुझसे है दूर होना ।


- डॉ.संतोष सिंह