Quotes

दिनांक: 24-Feb-2001

मेरे गम में न होना शामिल, दम निकल जायेगा

दम निकलता है मेरा, जब मन को होता नही कोई गम |

- डॉ.संतोष सिंग


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दिनांक: 24-Feb-2001

मैं न नाराज हूँ, न ही खुश, गुमपुरमं हूँ |

ऐ खुदा तेरे पास रहके तुझसे कीतना दूर हूँ |

- डॉ.संतोष सिंग


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दिनांक: 24-Feb-2001

लगी हैं आग तन-मन में, प्रतिपल जलता जा रहा हूँ |

बचेगी जो ख़ाक उसमें से, महक आएगी तेरे प्यार की |

- डॉ.संतोष सिंग


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दिनांक: 24-Feb-2001

ढलता हैं दिन-रात लगातार, बदलता रहता है हर पल मन का संसार |

कब प्रगटेंगा ‘वो’ प्यार ? जो स्थिर कर जायेगा मेरा संसार को |

- डॉ.संतोष सिंग


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दिनांक: 25-Feb-2001

ऐलान करता हूँ, दीवानगी का, इसलिए नहीं की जाने लोग मुझे

देख के तौबा-तौबा कर उठे, मैंने प्यार कीया था की दुश्मनी ?

- डॉ.संतोष सिंग


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दिनांक: 25-Feb-2001

ऐ मालिक! भांप लेता हैं तू मजमून लिफाफा देख के |

लगता है वक्त अभी बाकी है, इस दिशा में बहुत कुछ बदलने का |

- डॉ.संतोष सिंग


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दिनांक: 25-Feb-2001

शिकायत ढेरों है लेके तुझे, पर तू इसे प्यार समझना |

नादानियत से भरी है मेरी समझदारी, पर तू इसे इजहार समझना |

- डॉ.संतोष सिंग


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दिनांक: 25-Feb-2001

हमें क्या मालूम था प्यार क्या होता हैं? |

न जाने क्यों कीसीको देख के दिल खुश होता है |

- डॉ.संतोष सिंग


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दिनांक: 25-Feb-2001

मस्ती आती है लहरों सी आँखों में हलचल होती है पवन की तरह पुतलियों में |

ये सब होता है जब जाने मन को देख के, दिल मचलता है दिलदार का |

- डॉ.संतोष सिंग


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दिनांक: 25-Feb-2001

शरारत से भरा मन मचल उठता है, हसरतों को पास पाके |

दिल जिंदादिली के गीत गां उठता है, प्यार के पास आके |

- डॉ.संतोष सिंग


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दिनांक: 25-Feb-2001

मरहूम मनाता है शोक अपने प्यार के न होने पे |

साथ ही इस्तकबाल करता है, आज तक प्यार से न मिलने का |

- डॉ.संतोष सिंग


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दिनांक: 25-Feb-2001

जिन्दा हूँ दया के टुकडो पे, वो भी मिले हैं उधार के खातों से |

कहने के नौबतों से बात बनती नहीं, जो करना कभी माफिक नही आय |

- डॉ.संतोष सिंग


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दिनांक: 25-Feb-2001

ऊपर उठने चला था मैं से, आदी हो गया जिल्लतों का |

ऐसी भलमसाहत से खुदा भी दूर भागे, जिसमे लानत लगने लगे प्यारी |

- डॉ.संतोष सिंग


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दिनांक: 25-Feb-2001

'सनम' लिया हूँ जनम तेरे वास्ते, कहता हूँ दिन को बार-बार |

रात होते घिर जाता हूँ, दुनियाँ भरके ख्वाबों से |

- डॉ.संतोष सिंग


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दिनांक: 25-Feb-2001

गोया 'प्यार'-'प्यार' न हुआ आचार हो गया |

एक ही दिल न जाने कीतनों के पीछे, टुकड़े हजार हो गया |

- डॉ.संतोष सिंग


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दिनांक: 25-Feb-2001

जिसको देखो वो दम भरते हैं 'प्यार' का |

प्यार-प्यार ना होके जैसे समाचार बन गए |

- डॉ.संतोष सिंग


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दिनांक: 25-Feb-2001

कागज़ के टुकड़ों पे बयां होने लगी है दिल की बातें |

पहले लिखते थे दिल की कलम से, अब बिकते है दस-पंद्रह रुपयों में |

- डॉ.संतोष सिंग


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दिनांक: 25-Feb-2001

जहाँ देखो तहाँ खुल गयी है प्यार की दुकान |

लेके हाथों से दिए जाते हैं, बातों से पहले मसले जाते हैं |

- डॉ.संतोष सिंग


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दिनांक: 25-Feb-2001

जूनून होता है प्यार का हर दौर में बिना शोर के |

जोर जिसका जिस पे है चलता, बेचारा बिसूरता पढ़ता है कमजोर |

- डॉ.संतोष सिंग


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