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Hymn No. 57 | Date: 28-Nov-1996
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दिल की बेचैनी दूर ना होती है मिले बगैर तुझसे ।
दिल की बेचैनी दूर ना होती है मिले बगैर तुझसे ।
पल – पल तू मुझको याद आये बेचैनी भी गुदगुदा जाये मन को ।
खौफ ना होता है मेरे मन को जमाने के खफा होने का ।
कदम मेरे अंजाने ही तेरी गलियों की और मुडते चले जाये ।
लग गयी है प्रीत तेरे लगन की काहे का डर जमाने का ।
याद करने की फिक्र ना है मुझे दिल में है तू तो बंद मेरे ।
जमाने के नये – नये बंदिशों को देख मेरे हौसले हो जाते है पस्त ।
दीदार हो जाता है तेरा, पस्त हौंसले हो जाते है बुलंद ।
नैंन ढुंडे हर तसवीर में तसवीर तेरी बाकी तो लगे अधुरी ।
चैन न आयें मन को जब तक देख ना लूँ सीरत तेरी ।


- डॉ.संतोष सिंह