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Hymn No. 520 | Date: 25-Dec-1998
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परेशानीयाँ बडती जा रहीं है मेरी, मुश्किल नजर आ रहा है मुझे जीवन पथ पर चलना।
परेशानीयाँ बडती जा रहीं है मेरी, मुश्किल नजर आ रहा है मुझे जीवन पथ पर चलना।
बयाँ कैसे करूँ मैं, हालत दिनों ब दिन बिगडती जा रही है, अच्छें होनें के आसार दूर तक नजर ना आ रहे है ।
हर कसम टूट जात है वक्त कें सामनें, घूटनें टेंक रहाँ हूँ जिनकें सामनें सर उँढचा किया था कभी।
टूटें मेरी आन – बान – शान, पर तेरा सम्मान कम ना होने दूंगा, बेदम हो ना जाऊँ मैं ।
पूंजना मुझे तूझे है ना ही मेरी झुठी जन्मी – अजन्मी क्रूर लालसाओं को ।
आगाह तूने हर बार किया, हमनें ही जलाया इस दिल को, पकडनें के चक्कर में उन्हें ।
सीख देता है तो दें, पर ढाल दें हमें तेरे मुताबीक जीवन जीता जाऊँ मैं ।
कायर बनने से अच्छा है, तेरा नाम लेतें हुये तेरे बतायें जीवन पथ पे चलें ।
जनम लीया है हमनें हजार, भुगता बहुत कुछ हर बार, सनम तेरे हाथों से प्यार का जाम पीलायें ।
जो होगा देखा जायेगा, मैं के होश में न आना है मुझे, तेरे प्यार में डूब जाने दे तू मुझे ।


- डॉ.संतोष सिंह