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Hymn No. 511 | Date: 18-Dec-1998
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कभी ख्याल आता हौ मन में, क्याँ मांगू मैं तुझसे ।
कभी ख्याल आता हौ मन में, क्याँ मांगू मैं तुझसे ।
तूने क्या नहीं दिया है मुझे, सोच के परेशा होता हूँ मैं ।
सब कूछ तूने समय पे दिया, काबील ना थें, काबील बनाया ।
गर्व में गिरें थें, उठाकें तूने गलें से लगाया हमको ।
मांगने से पहलें बात जो मन में आयीं वो तूने दिया हमें।
लाखों – लाख गल्तियाँ की हमनें, हर बार तूने मौका दिया ।
यह नाचीज कुर्बान कर दे इस जीवन को तो भी कम है ।
तेरे चरणों की धूली मिलें तो कूर्बान है मेरी सारी दौलत ।
जहाँ भी तू रखें इस जहाँ में, हम तेरे नाम का जाम पीतें रहे ।
मिन्नत तूझसें ना करूँ कभी, तेरा यशोगान सदा गाता रहूँ ।


- डॉ.संतोष सिंह