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Hymn No. 38 | Date: 03-Oct-1996
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ऐ गुरू अनमोल वचन है, तेरे दर्शन का क्या कहना ।
ऐ गुरू अनमोल वचन है, तेरे दर्शन का क्या कहना ।
नाम लेकर के तेरा, गया मैं तर, गीत गाऊँ तो क्या कहना ।
सही है या गलत ये तूने ना पूछा जो माँगा वो तूने दिया ।
तेरे पास आकें जाना प्रीत क्या है, भाव और श्रध्दा तूने जगाया मुझमें ।
घ्रृणा, हीनता द्वेष से लबालब भरा था, बात बेबात पे करता क्रुरता का प्रदर्शन ।
दूर्गुणों की खान में था फिर भी दिया तूने चरणों में स्थान मुझको ।
कृतज्ञ नहीं तेरा दास हूँ मैं सर्वस्व लुटाके तुझे अपनाना चाहता हूँ ।
खुद को मिटाके तेरा हो के रह जाना चाहता हूँ ।


- डॉ.संतोष सिंह