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Hymn No. 37 | Date: 03-Oct-1996
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आते – आते तेरे द्वारे, भटक गया मैं गुरूवर ।
आते – आते तेरे द्वारे, भटक गया मैं गुरूवर ।
दुनियादारी में फँस के, भूल बैठा तुझको गुरूवर।
सत्य का साथ छोडके, मैं माया में अटक गया गुरूवर ।
उद्धार करना मेरा तेरे ही हाथों लिखा है गुरूवर ।
तन तो फँसा है कर्मों के घेरे में गुरूवर ।
अब काया – पलट तुझको ही करनी है गुरूवर ।
मन का कर या तन का कर जो करना है तोहे ही करना है गुरूवर ।
अब तो आराम तेरे चरणों में करना है याद करके तोहे ओ गुरूवर ।


- डॉ.संतोष सिंह