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Hymn No. 31 | Date: 21-Aug-1996
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जा रे जा, जा रे जा, जा रे जा, काहे तरसावत है, तेरी माया में ।
जा रे जा, जा रे जा, जा रे जा, काहे तरसावत है, तेरी माया में ।
जा रे जा, जा रे जा, जा रे जा, काहे भरमावत है तेरे विषयों में ।
अरे तरसाना है मुझको तो तरसा तेरे चरणों के लिये ।
अरे भरमाना है मुझको तो भरमा अनेकोनेक में से एक किसी रूप के लिये
अब सर्वस्व अर्पित कर दिया तुझको तन हो या मन ।
या फिर उसके अंदर बैठा हुआ स्वतःतेरा रूप ।
भरमायेगा या तरसायेगा तो तेरी आत्मा का एक भाग तुझसे जुदा हो जायेगा ।
फर्क तुझे पड़े या न पड़े पर एक अभागा माटी में कैद हो जायेगा ।


- डॉ.संतोष सिंह