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Hymn No. 32 | Date: 02-Sep-1996
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हालत है, तू मौहे, ओ मनमोहन प्यारे, नित्य नये रूप में,
हालत है, तू मौहे, ओ मनमोहन प्यारे, नित्य नये रूप में,
अखियन के सामने नजर आवें, मन में संदेह उठे,
कहीं जागत, सपनवा । देखत तो नाही, अब जब प्रीत तुझसे हो गयी,
बन जाऊँ तोरी बाँसुरिया लग जाऊँ तेरे अधरों से, प्यास बुझ जाए उम्र भर की ।
उस पर ज्ञी हो तोहे ऐतराज, तो मोर पाखी बन तेरे माथे की शोभा बनूँ ।
अगर करम मौरा बैरी बना हो तो तेरे चरणों में लिपटी हुयी धूली का कण बन जाऊँ
चार पग तेरे संग चल, सदियाँ गुजार दूँ, तेरी याद में ।


- डॉ.संतोष सिंह