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Hymn No. 29 | Date: 22-Aug-1996
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राम और श्याम हो गये कैद तन के पिजड़े में ।
राम और श्याम हो गये कैद तन के पिजड़े में ।
बुध्द और महावीर गये है भटक मन की गलियों में।
ध्यान कर लो अब मान भी जाओ तुम ही राम – श्याम ।
फेर ली साध लो अब मन को तुम ही बुध्द – महावीर ।
अरे तन की चिंता छोड दे मत पड़ मन के फेरे में ।
ज्ञानी को अज्ञानी बना दें ये ध्यानी को भोगी ।
जो हर तन में है वो तुझमें है ना किसी में कुछ भेद ।
एक ही माता के एक ही पिता के संताने है हम सब ।
कर्मों के घेरे में बिछुड गये है एक दूजे से ।
इच्छाओं के चलते रखते है द्वेष एक दूजे से ।
ओ मेरे राम – श्याम, ओ मेरे बुध्द – महावीर ।
तुम्हीं हो, तुम्हीं हो, तुम्हीं हो तुम सबको कोटि – कोटि प्रणाम ।


- डॉ.संतोष सिंह