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Hymn No. 2876 | Date: 04-Nov-2004
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प्यार के सिवाय क्या दू मैं तुझे सौगात में, जानूं न यार मेरे।
प्यार के सिवाय क्या दू मैं तुझे सौगात में, जानूं न यार मेरे।
नखलिस है प्यार मेरा, अभी अभी तो रखा हूँ कदम प्यार की डगर पे
बहती है अंतर मैं धारा, जो उमड़े देख देखके तुझे प्यार मेरे...
भावनाओं मैं गोते लगाते बहता हूँ और तेरे जो करे निमग्न मुझे प्यार में।
कभी कभार हिचकोले जो प्यार की डगर से भटकूं मैं, तेरे प्यार...
तुझसे कम कुछ न स्वीकार है, तेरे सिवाय कोई मेरा प्यार है प्यार मेरे...
अबाध गति से बहता हूँ और तेरी सारी परंपराओं धारणाओं को तोड़ के अपनाये मुझे...
उथले मैं तिरते हुये इस बंदे को गहराई में ले जाये प्यार तेरा, प्यार मेरे...
मेरी कामनाओं की सारी लालसाओं का अंत करे तू प्यार से अपने, प्यार मैं...
सिसकना हो या हंसना, बिसुरना हो या मिलना, तेरे सिवाय रहा न कुछ अब प्यार मैं...
रहते हुये भी कट गया हूं दुनिया से, तेरे प्यार मैं जो जीता जा रहा हूँ प्यार...
लुटके ही तो तुझे है पाया, सदा के वास्ते जो तेरे घर आय प्यार मेरे...


- डॉ.संतोष सिंह