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Hymn No. 2874 | Date: 03-Nov-2004
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विचित्र विरोधाभासों से भरी है जिंदगी,
विचित्र विरोधाभासों से भरी है जिंदगी,
कब कौन सा खेल खेले कोई जाने ना।


अपने पराये एक सा लगते है,


जब मनमाने कर्मों को करते है।
खेल चलता रहता है प्रभु तेरे नाम पे,
चुप होके तू भी अपनी दुनिया का मजा लेता है।


समझके हम समझ नही पाते है,
सच्च ओर झूठं के इस अंतर को।
मिला हुआ सहारा खोना नही चाहते,
प्रभु तुझे पाके जुदा होना नहीं चाहते।


किस्मत के नाम पे करेले हैं हम


उपर से करम ऐसे नीम भी शरमाये।
तेरी संगत में आया प्रभु तुझे पाने,
ना कि फरियादों के संग जीना जीने।


प्रभु करवा ले जा जो तू चाहता है


तोड़ दे हर हिचक तू हमारे मन की।
हर बार तू उबारे जीवन को नई राह दिखाये,
तेरी कृपा से तर जायेगे, जीवन हमारा खिल जायेगा।


मिन्नतें करुँगा हजारों बार, पीछा ना छोडुंगा।


सतत् प्रयास, करुँगा, मन को अभ्यासों से रोकुंगा।
गाऊंगा गीत हर पल दिल से नये नये प्रेम के,
सुना सुनाके तुझे भावो में विभोर कर जाऊंगा।


पाना है मुझे तुझे इसे जिंदगी मैं,


चाहे अनंत कृपा हो, या कुछ और बात हो।


- डॉ.संतोष सिंह