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Hymn No. 2867 | Date: 02-Nov-2004
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टूटने ना दे मेरे विश्वास को, पूरा करा ले जा मेरे आधे अधूरे प्रयास को।
टूटने ना दे मेरे विश्वास को, पूरा करा ले जा मेरे आधे अधूरे प्रयास को।
माना नाउम्मीद के दौर में हूँ, फिर भी आस की ज्योत जगमगाये दिल में।
दिल के किसी कोने मैं धीमे धीमे तू बतलाये, जीवन को राह दिखलाये।
हौंसला अफजाई चाहता हूँ, शुरूआती दौर मैं तेरा साथ मांगता हूँ।
सह सकता हूँ सब कुछ, सह नहीं सकता अब पल भर की तेरी रूसवाई।
आया हूँ तेरी तलाश में, कुछ और के वास्ते अब तुझे गुमा नहीं सकता हूँ।
हरकत नहीं जो तड़प दुनिया के वास्ते, पर तेरे सिवाय तड़पता नहीं अब किसी के वास्ते।
उन बंद राहों पे जान नहीं चाहता हूँ, पर जुड़े हुये लोगों के वास्ते करना हूँ चाहता।
तेरे रहते करने वाला में कौन होता हूँ, पर दि हुयी तेरी जिम्मेदारी को निभाना चाहता हूँ।
सब कुछ करते हुये सबसे परे होके तेरा बनके जिंदगी जीना अब चाहता हूँ।


- डॉ.संतोष सिंह