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Hymn No. 2866 | Date: 02-Nov-2004
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दाल गलती नही प्रभु तेरे आगे जीवन में किसीकी,
दाल गलती नही प्रभु तेरे आगे जीवन में किसीकी,
कोई करे लाख चाहे कुछ भी, फिर भी चलती नहीं किसीकी।
अनोखा है तेरा अंदाज, जितना समझना चाहो उतना ही हो परेशान,
कब तू क्या कर दे कोई जाने ना, राजा को रंक कैसे बना दे।
डूबती नैय्या को पार लगाये, अक्खड़ को धूल मैं पलक झपकते मिला दे,
पल पल बदले तू तेरा अंदाज, कब क्या कोई न जाने।
कुछ ना तुझसे परे, जिसने लिया शरणागति वो ही सबसे पार पाये।


- डॉ.संतोष सिंह