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Hymn No. 2846 | Date: 18-Aug-2004
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दाद ना दो मेरे गीतों को, मन को विराम ना दो तेरे ख्यालों से।
दाद ना दो मेरे गीतों को, मन को विराम ना दो तेरे ख्यालों से।
सुकून मिलता है तो बस इसी में, जो हर पल गाता रहूँ तेरे लिये।
कहने को तो ना मायने है ख्वाबों का, हकीकत में बदले तेरे फसाने।
बड़ी शिद्दत से जो तू मिला है हमको, तो हाथों से क्यों जाने दें।
गुणों को जो ढुंढता हूँ अपने भीतर, तो कुछ भी नहीं पाता हूँ।
हंसी आये किस्मत की लेखी पे, तेरे पास आके चाहना भी ठीक से नहीं आया।
तरन्नूम के दौर से तसव्वुर मिलता नहीं दिल को, वो तो कुछ और, कुछ और चाहे।
गुमसुम सा मौं अपने आप को देखता हूँ, वो कैसे कुछ और तुझसे मांग पाये।
एक समय था जब पाते पाते छोड़ देने की फितरत थी, यूं ही।
आज जब दिल ने चाहा है किसी को, वो पास आ आके दूर क्यों चला जाये।


- डॉ.संतोष सिंह