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Hymn No. 2393 | Date: 15-Jul-2001
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न हूँ मैं उन बड़भागियों में से, जिनके लिए तू आता है सदा से।
न हूँ मैं उन बड़भागियों में से, जिनके लिए तू आता है सदा से।
फिर भी तूने पास बुलाया, मौका दिया साथ रहने का अपने।
कैसे अदा करुँ मेहरबानियों का शुक्रिया अदा तेरा, जो कदम न जाना अब तक।
उम्मीदवार न थे हम, फिर भी प्यार का जाम पिलाया निगाहों से भर भरके।
अब हमने भी खायी कसम, न जीयेंगे बगैरे तेरे पल भर के लिये।
किस्मत न है बदलना हाथों में हमारे, भावों का सैलाब बहायेगे तेरे सामने।
मुश्किल होगा नजरअंदाज करना तुझे, हर वख्त दिल में बुलायेंगे।
आया होगा मेहमान बनके, पर प्यार से नया रिश्ता जोड़के दिखाऊंगा।
मुश्किल होगा तोड़ना इसे, जो बाँधूगा दिल की डोर से आजन्म तुझे।
होता रहे मेरा जो भी हाल, सींचते जाऊंगा तेरे दिल को प्यार से अपने हर हाल में।


- डॉ.संतोष सिंह