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Hymn No. 2392 | Date: 13-Jul-2001
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प्रभु जी.. ये क्या हो रहा है मेरे साथ, मैं चाहता हूँ कुछ ओर क्यों नही कर पा रहा हूँ कुछ।
प्रभु जी.. ये क्या हो रहा है मेरे साथ, मैं चाहता हूँ कुछ ओर क्यों नही कर पा रहा हूँ कुछ।
अभी कितनी देर बाकी है तेरे प्यार को पाने में, संग संग तेरे जीने में।
मैं पीगे बढाना चाहता हूँ प्यार कि, भक्ति के भावों में झूलते हुये।
कसक मसक रही है दिल को तो क्यों प्यार का बीजं अंकुरित हो न पा रहा है।
जादू तो है तेरी निगाहों में, तो क्यों तरस रहा है मन मेरा चैन के वास्ते।
इस प्यार की दांस्ता में, विरह का लम्हां क्यों लम्बा होता जा रहा है।
तरस रहा हूँ तेरे साथ रहने को, अभी कितना तू आजमाना चाहता है।
मजा आ रहा हें तुझे इस खेल में, तो अहसास करा दे मुझे भी तेरे खेलने का।
दर्द से डरता नहीं, अगर तेरे प्यार का अहसास हो तो, दे सकता हूँ दर्द को नाम अपना।
मुझे नहीं पता करना वख्त अभी कितना बाकी है, पर पीना चाहता हूँ पल पल प्यार के तेरे।


- डॉ.संतोष सिंह