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Hymn No. 2384 | Date: 09-Jul-2001
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पहुँचना है तेरे पास, चला हूँ इसी आशा से प्यार की डगर पे।
पहुँचना है तेरे पास, चला हूँ इसी आशा से प्यार की डगर पे।
खबर हो या न हो किसीको, रखता हूँ हौंसला निपट अकेला चलने का।
तेरे दम से कदम भरा था, पीछे हटना नहीं मेरे वश में।
गश खाके गिर पडूंगा, पर सख्ती से कदम दर कदम भरता रहूँगा।
लड़ता रहूँगा दुनिया भरकी आँधीयों से, पर पीछे न हटूंगा किसी भी हालत में।
दम तो है सीने में तेरे नाम से, पार पा जाऊँगा सैलाबो से।
होगा चारों ओर अंधियारा, टिमटिमायेगा जुगनू की तरह प्यार मेरा।
काबिज होगी रोशनी आँखों में मेरी, चीरता चलूंगा मन के तम को।
होश फाख्ता करुँगा, जो दिल में होगा प्यार भरा जोश तेरा।
मंजिल के पास पहुँचते पहुँचते बदल जाऊँगा जो मंजिल में।


- डॉ.संतोष सिंह