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Hymn No. 2371 | Date: 27-Jun-2001
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है हाजरा हजूर, हें हाजरा हजूर, रहता है तू हर पल हमारे संग जरूर हें हाजिर
है हाजरा हजूर, हें हाजरा हजूर, रहता है तू हर पल हमारे संग जरूर हें हाजिर
चाहता हूँ तेरे होने का सुरूर छाया रहे हर पल हमपे, है हाजरा हजूर
माना कोताही न है तेरी ओर से कोई, जो सोया मेरा, प्यार अभी तक है
कुछ कर तू ऐसा जादु हो जाये लट्टू तू मेरे पीछे, हें हाजरा हजूर
कब तक जाता रहूँगा तेरे दर से खाली झोली ले लेके भर दे तू उसे तेरे है
मेरे हिस्सें में न है तू तो, दे दें तेरे हिस्से का, है हाजरा हजूर ...
चला था क्या लेके, क्या किया न रोना है, पर तेरे बिन न जीना है, है हाजरा...
ये भी बात सच है, तू भी क्यों देगा तेरे हिस्से का, तो मिट जाने दे बनके तेरा हिस्सा है
इतने पे भी न है तो, कबूल है तेरी न, पर करनी होगी कबूल इक् मेरी भी हाँ, है...
तेरे बिना इक पल की देर के, उखड़ जाने देना मेरे श्वासों को कतरे कदमों में है हाजरा
नही जीना तेरे बिना चाहे तू दे देना जिंदगी कितनी भी है हाजरा ...।


- डॉ.संतोष सिंह