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Hymn No. 2368 | Date: 25-Jun-2001
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आपकी बात अलग है, आपकी बात अलग हैं, आपकी बात अलग है।
आपकी बात अलग है, आपकी बात अलग हैं, आपकी बात अलग है।
आये है हम सबके बीच में बनके उम्र में छोटे, पर काटते है कान बड़े बड़ो के।
आपकी शान में कुछ कहना है बड़ी छोटी बात, आपसे तो रहती है महफिल की शान।
आपके आगे क्या फरमाना, हर फरमान पे जो रहती है मुहर आपके ज्ञान की।
आप चीज हो क्या, कोई बेचारा कैसे जाने, जो संग रहके होने नही देते खबर किसीको आप।
कशिश है इतनी आपकी आवाज में, जो खींच ले हर मन को कोने कोने से।
छेड़ते हो सुर सरगम, उपज आते हैं प्यार भरे आँसू आँखो में प्रभु के।
आप...किसी की दलील चलती नही आपके आगे, तुरंत पकड में आती है जो रहती है झूठी आप


- डॉ.संतोष सिंह