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Hymn No. 2363 | Date: 21-Jun-2001
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नजरभर भरके देख लेने दे, नजर भरने में गुजर जायेगी जो जिंदगी मेरी।
नजरभर भरके देख लेने दे, नजर भरने में गुजर जायेगी जो जिंदगी मेरी।
फुरसत का न है करना इंतजार मिलने के वास्ते, जो फुरसत नही होती जिंदा होने पे।
सुबहो शाम करता हूँ तेरी आराधना, कि पूरी हो जाये जो दिल की मेरी साथ।
रख ले तू मुझे संग अपने, कि न हो सके जिंदगी के रुपहले सपने।
साकार करने आया हूँ तेरे ख्वाबों को, तू मन में क्यों आदम का सेव।
जब देखो तब डसता रहता है इच्छारूपी नाग, जो भड़काये भीतर की आग।
राख होने से डरता नही हूँ, पर तेरे प्यार के पाश से बंध जाना चाहता हूँ सदा के वास्ते।
तेरे साथ रहके क्यों हूँ अब तक इतना अलग थलग, क्यों चूक जाते है मेरे सारे प्रयास।
प्यार के नाम पे रोना नही चाहता, पर कहने को तरसता रहता हूँ मन की बात अपने।
मत प्रारब्ध पर डाल के टाल तू, पूरी करवा लेना आज तू मेरी साधना को।


- डॉ.संतोष सिंह