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Hymn No. 2353 | Date: 12-Jun-2001
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अरे देखा रे देखा, अरे देखा रे देखा, तेरे पास रह रहके देखा।
अरे देखा रे देखा, अरे देखा रे देखा, तेरे पास रह रहके देखा।
बनती बातों को बिगड़ते, बिगड़ती बातों को बनते देखा।
पर आयी न शिकन चेहरे पर तेरी, होता रहा उलट पुलट जग में।
आने वाले का किया स्वागत हंस हंसके, बिछुड़ने वालों को दिया सलाम।
चलता रहा खेल जीवन का, जीवन के हर दौर में मुस्कराता रहा तू।
घर हो या बाहर तू रमता रहा अपनी मौज में।
किंचित न आया भेद मन में, जब मिले अपने पराये।
अबूझ हें तुझे जानना पर तेरे रहने से रहता है मस्ती का आलम।
कोई न ख्वाब थे, पर हर इक के ख्वाबों को साकार करता गया।
करके भी अकर्ता रहा, प्रयासों को आशीश का फल देता गया।
उतार चढ़ाव से भरी जिंदगी में आगे बढ़ता गया, जो आया साथ उनको लेता चला।


- डॉ.संतोष सिंह