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Hymn No. 2354 | Date: 12-Jun-2001
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हें दीवानगी क्या होती है न जाना था हमने, जब हुये मुँहताज उसके दीदार को तो जान गये
हें दीवानगी क्या होती है न जाना था हमने, जब हुये मुँहताज उसके दीदार को तो जान गये
परवानो के बारे में सुना था बहुत कुछ, जब मिला न दिल को तसव्वुर तो जान गये इस हाल को।
मस्तानों की बातें भी थी बहुत कुछ ऐसी, जब आने लगा हर आलम में मस्ती तो जान गये हम।
हुआ मैं चूर इस नशे में हो गये हम प्यार के मसीहा, जिंदगी ने पलट के वार जो किया तो चारों ओर बिखर गये।
फिर भी हमने खायी थी कसम, की है शागिर्दी यारों की यारी की, जो झुकाता था दुनिया को अपने प्यार से।
यार आने न दूंगा तेरे नाम पे आँच, कर जाऊँगा ऐसा काम कि तू भी कह उठेगा मजा आ गया।
हालातो से सीखा हूँ संवरना, जिंदगी के हर दौर में प्यार के गीत गाते गाते आगे बढ़ना।
तसव्वूर न है दिल में तो क्या तरन्नुम तो है, खुद खाक हूँ तो क्या आने न दूंगा आंच प्यार पे।
चल पड़ा हूँ मुस्कराते यूं ही हर बात में मुस्कराते, दिल ही दिल में यार से बतियाते।
चैन नही है अब तो चैन न लेने दूंगा, जब तक इस बेचैन दिल का अंत न होगा तेरे अंतहीन दुनिया में।


- डॉ.संतोष सिंह