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Hymn No. 2348 | Date: 08-Jun-2001
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सुख चुके है आंसू आँखों में, दिल न धड़कता है किसी के आने जाने से।
सुख चुके है आंसू आँखों में, दिल न धड़कता है किसी के आने जाने से।
फिर भी होता रहता हूँ उदास खुश, तेरे आने जाने से।
न ही इतने सुन्दर है मेरे करम कि तोड़ दे तू अपना परम।
भावों का सैलाब भी नही है, जो बहा ले जाये तुझे अपने संग।
ऐसा कुछ भी न है विशेष, जो पैदा कर दे मेरे अंदर इतनी कशिश।
रहने को रहे तू कही भी, पर बना रहे मेरा रसिक।
नैंनो में न है रैन इतनी, जो छीन ले चैन तेरा।
न ही हूँ किस्मत का धनी, जो बन जाऊँ तेरे दिल का मनी।
अरे मैं तो हूँ भी उन लांखो करोड़ों में से एक।
जो अनायास देखं लेते है तेरा ख्वाब, बिना किसी प्रयास के।


- डॉ.संतोष सिंह