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Hymn No. 2346 | Date: 08-Jun-2001
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दगाबाज हूँ प्यार के बदले, जो दिया सिला बेवफाई का।
दगाबाज हूँ प्यार के बदले, जो दिया सिला बेवफाई का।
थोड़ा भी न समझा, तेरी प्यार भरी रहनुमाई को।
लेंके तू खड़ा था दामन में, सारे जहां की दौलत।
हमने गंवाई उल्फत और उलझनों से भरे कारनामों से।
जो किस्मत में न था, वो भी देने को तैयार तू खड़ा था।
पर न जाने कैसे थे पूर्व के कर्म, जो हर मोड़ पे राह रोके खड़े थें।
तेरी कृपा से हुआ निष्कंटक मार्ग मेरा, बस आगे बढ़ना था।
पर आलस से भरा, चलते चलते सो गया बीच राह में लेने से पहले।
देखी न इतनी इनायत, मुस्कराते तूने कहा मिलेगा जरूर प्रयासों से।
हमने भी खायी कसम, लिये बिना न छोडूंगा दम अपना।


- डॉ.संतोष सिंह