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Hymn No. 2343 | Date: 06-Jun-2001
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कौन है तुझसे हंसीन इस जहाँ में, कौन है तुझसे प्यारा इस दुनिया में।
कौन है तुझसे हंसीन इस जहाँ में, कौन है तुझसे प्यारा इस दुनिया में।
कौन है तुझसे आगे इस जहाँ में, कौन न भागे तेरे पीछे इस दुनिया में।
मारा है तू भी तो मोहब्बत का, ललकारा है तुझको भी तो ज्ञानियों ने।
बचना न आया तुझको भी तो भक्तों से, छुड़ा न पाया बहिंया जो पकड़ी यारों ने।
अरे मालिक, कह कहके रोके रखा तुझे दासों ने, संतो ने बांधा है तुझको सदा से।
अगोचर तुझको गोचर होना पड़ा प्रेंमियों के वास्ते, भोले भालो का हाथ पकड़के पार लगाया
नाउम्मीद में उम्मीद तूने जगायी, दर दर के मारे हुये शरण तेरे दर पे पाये।
जिसने किया खुद को हवाले उसका लिया तूने हवाला, सच्चें मन की शंकाओं का समाधान करे तू।
करके भी सब सतर्कता सहलाया तू, जीवन के हर रागों में सदा मुस्कराये तू।
हर खाली झोली को भरता गया तू, अपनों के वास्ते धरा पे आता रहा तू।


- डॉ.संतोष सिंह