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Hymn No. 2335 | Date: 01-Jun-2001
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करने की बातें कही नहीं जाती, पर अब न मौका दूंगा बेवफा कहने का।
करने की बातें कही नहीं जाती, पर अब न मौका दूंगा बेवफा कहने का।
निभाऊँगा हर दौर में, सहेज लूंगा दामन में तेरे पथ के सारे कांटे।
प्यार के सिवाय एहसास न होने दूंगा, तन मन की किसी पीड़ा को।
गमगीन दौर में भी आऊँगा मुस्कराते, नजरों से टपकाते उमगो की किरण।
मेरे हिस्से का दर्द पी लूंगा हंसते, पर तेरे हिस्से का दर्द भी पीना चाहूंगा।
गमों का मारा न होने का करुँगा दिखावा, जो दिल ने मान लिया तेरा दर है मेरा ठिकाना।
बहुत मुश्किल होगी तुझे भी मुझको नजरअंदाज करना चाहे कितना भी रहूँ नजरों से दूर।
अदावत समझ या नासमझ तेरी झिड़कोयों पे भी होती है दिल में गुदगुदी अब।
हमने भी तो न छोड़ी थी कोई कसर बेवफाई की, पर अब कहने की बजाय कर दिखाऊँगा।
तूने निभाया बहुत पर अब सब कुछ सहते हुये हंसते हुये ले जाऊँगा अंजाम तक।


- डॉ.संतोष सिंह