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Hymn No. 2334 | Date: 31-May-2001
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जानेमन प्यार की बात करते हो, और देते हो सिला बेवफाई का।
जानेमन प्यार की बात करते हो, और देते हो सिला बेवफाई का।
उल्फत का नाम लेके डाल देते हो तुम हमको उलझन में।
एक ही तीर से न जाने कितने शिकार कर करके मुस्कराते हो मंद मंद।
कोई तुमसे सिखे प्यार की बात करना, ओर इकरार ना करना।
इशारे से करते हो साराबोर प्यार में, चूर होने पे क्यो छुड़ाते हो बहईयाँ।
तसव्वुर लेने नहीं देते हो, वार पे वार करके करते हो घायल दिल को।
रोना आता है तब जब सब जानके पूँछते हो हाल दिल का।
जो खुद को गवारा न था, वो अपनों का हाल करते हो प्यार में।
ये केसा खेल है जो अपनो को करता है ढेर प्यार के नाम पे।
बेदर्दी से बढ़ाता जा रहा है दिल की पीड़ा को न जाने कौन सा तूने राज छिपा रखा है।


- डॉ.संतोष सिंह