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Hymn No. 2325 | Date: 23-May-2001
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माना प्यार से हमारे एतराज न था उनको, पर एतबार भी न था प्यार पे हमारी
माना प्यार से हमारे एतराज न था उनको, पर एतबार भी न था प्यार पे हमारी
नजरों में तेरे खरे न उतरे तो प्यार पे हमारे ईल्जाम न लगा तू।
कोई झुठला सकता नहीं बातों को मेरी, की जेहन में है सिर्फ तसवीर उनकी।
सीखा बहुत कुछ तुझसे, पर सीखा नहीं प्यार करना ओर कैसे जताना किसीको।
खेलता होगा तू तेरा मन भरने को, हम तो पागल है प्यार के दिवानगी के हद तक।
मायने न रखता है मेरा प्यार करना, मायने तो यह करता है तू किसको प्यार।
मैं चक्कर में न पड़ना चाहता हूँ तो तू क्यों चाहे, रहने दे प्यार की मस्ती मैं मुझे।
पर सितम ढाना न तू छोड़न, तेरे सितम ही खिलायेगे प्यार के फूल मेरे मन में।
हसरत भरी नजरों से देखूंगा, चोरी चोरी तेरे प्यार का घूंट भरता रहू मैं।
अंतहीन होगा मेरा प्यार, दिनों दिन बढ़ता जायेंगा शबाब मदहोश हो जाने तक।


- डॉ.संतोष सिंह