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Hymn No. 2326 | Date: 24-May-2001
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भग्न हृद्य से गा रहा हूँ गीत तेरा, मन के कोने कोने में आशाओं के दीप जलाने वास्ते,
भग्न हृद्य से गा रहा हूँ गीत तेरा, मन के कोने कोने में आशाओं के दीप जलाने वास्ते,
रूठा हुआ जरूर हूँ पर टूआ नहीं, मारा हुआ न हूँ किसीका मारा हूँ कर्मों का अपने
ऐ पिता कहाँ तेरा करने में असफल हो रहा हूँ, पर करने से घबराया नही हूँ।
मेरे जीवन में न है खेल आँसुओं का, बहेंगे तो तेरे चरणों में न ही कुछ ओर के लिये।
अतुलनीय तेरी सत्ता से उपजा हूँ, तो अतुलनीय कार्यों को कर दिखाऊँगा जरूर।
कमजोर होने की या ताकत के गुरूर की बात करता नहीं, पर पुरूषार्थ को चोट करना चाहता हूँ जरूर।
आकस्मिक दुखद घटनाओं का अंत नही जीवन में, पर तेरे प्यार के बीज पुष्पित पल्लवित होगा जरूर।


- डॉ.संतोष सिंह