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Hymn No. 2324 | Date: 22-May-2001
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माना प्रभु मोहताज नहीं है तू हमारा, न ही परवाह है तुझे किसीकी।
माना प्रभु मोहताज नहीं है तू हमारा, न ही परवाह है तुझे किसीकी।
तूने न लिया है ठेका देने का, देता है तो कर्मो के अनुरूप हमारे।
ऐ ज्ञानवान पिता तू तो जाने सब कुछ, पर तेरे बेटे को अनजान है सबसे।
अगर कोई मांग लिया प्रेम में कुछ तुझसे, तो न देना तू उसे स्वार्थ का नाम।
मैं ताना बाना बुनता नहीं चक्कर चलाने को, बस बात कहता हूँ मन की अपने।
उपजे है सबके सब तुझसे, तेरे बताये बगैर कैसे जी सकते है दुनिया में।
पता है अहमियत न है किसीकी तेरे सामने, पर सहमति कर ले थोड़ी सी उनकी।
तेरी शाश्वता की जयजयकार करते है सदा से, नश्वरता से भरी मायावी दुनिया में रहते
ओंड़ पूंर्णता के स्वामी मत देख कमियों को हमारी, देख ले अंतर में छिपे ललक को।
बड़ायी तो नही करता पर परम तेरी कृपा से, बढ रहे है धीरे धीरे ओर तेरे।


- डॉ.संतोष सिंह