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Hymn No. 2285 | Date: 26-Apr-2001
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हे जानेमन जा रहे हो तो छोड़ जाना तेरे साथ होने का अहसास।
हे जानेमन जा रहे हो तो छोड़ जाना तेरे साथ होने का अहसास।
जो बात जुबां तक आकें रुक रही है, कह डालूं नजरों में नजर डालके।
संजोया हूँ दिल में तसवीर तेरी, जो रह रहके उभरती है ख्यालों में ।
जानेमन करता हूँ तुझे प्यार इतना, कि बन जाये तू मेरी जान ओर मन ।
हैरत में पड़ जाता हूँ तेरे साथ रहके क्यूँ दूर हूँ तुझसे अब तक।
एकांत में जब खुद को पाता हूँ, तो फटकारती है मुझको मेरी गैरत।
सह सकता हूँ सब कुछ, पर सही नही जाती जुदाई जो दिलाये एहसास तेरी रुसवाईका।
ऐसा क्या किया था जो डाले हुये है मेरे प्रेम की राह में रोड़ा अब तक।
पुरूषार्थ का बाना पहले क्यों नही पहना, जिसके कारण जीत न पाया तुझे।
अलख जगा दे मेरे अंतर में, तेरा कहा करता चला जाऊँ बेहिचक होकर।


- डॉ.संतोष सिंह