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Hymn No. 2286 | Date: 26-Apr-2001
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प्रभु बड़ा दुष्कर है अपने आपको साधना, साधके दिल से करना तेरी आराधना।
प्रभु बड़ा दुष्कर है अपने आपको साधना, साधके दिल से करना तेरी आराधना।
कहने को तो कह सकता हूँ, तेरे बिना नहीं रह सकता हूँ मैं।
पर सचमुच जो हो पाता ऐसा कि एक पल को जुदा हो नही सकता तुझसे।
पर कई बार ऐसा भी लगता है, जब तुझसे दूर रहता हूँ तो आहें भरता हूँ।
क्या वो दिल की चित्कार झूठी है, या मेरी किस्मत ही फूटी है।
जब-जब किया यत्न मनाने का तुझे, तब-तब फांसा मन ने मनमाने कर्मों में।
इतना कमजोर कैसे हो गया, परम् समर्थ पिता के होते हुये।
रोनां रोता नहीं किस्मत का, पर तुझे पाने के लिये, करना चाहता हूँ सब कुछ।
रब जलना चाहता हूँ दिन रात तेरे प्यार कि आग में, न कि दुनिया के राग से।
कर रहा हूँ तेरी कृपा का इंतजार, जो भड़का जाये इस खाकसार के प्यार को


- डॉ.संतोष सिंह