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Hymn No. 2280 | Date: 24-Apr-2001
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सुख जाने दो मेरे आसुओं को आंखों में, ये उपजे है बेदर्द बनके।
सुख जाने दो मेरे आसुओं को आंखों में, ये उपजे है बेदर्द बनके।
हमने किया था प्यार सच्चा पर साकार कर न सके उनके ख्वाबों को।
रातों को नींद से जगाया हमने, प्यार को भुलाके मन को भटकाया माया में।
वो तो आये थे प्यार लेके, पर हमने तो कर दिया वार अपने कर्मों का।
जोर अजमाइश तो बहुत किया, पर चला न एक हमारा उसपे।
दोष न देता हूँ तेरा, जब सब कुछ किया हुआँ था कर्मों का हमारा।
झूठा न पड़ने दूंगा, प्यार के नाम पे कोई ओर कलंक लगने न दूंगा।
चस्का लगा है दिल को तेरा, तो ऐंसे वैंसे से काम न चलने दूंगा।
नाउम्मींद से भरी जिंदगी की, तेरे उम्मीदों पे पानी न फेरने दूंगा।
हैरत में पड़ जायेगा तू, जब तेरा चाहा तुझमें समाते चला जाऊँगा।


- डॉ.संतोष सिंह