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Hymn No. 2277 | Date: 23-Apr-2001
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मुझे रहने दो मेरी मौज में, मुझे छेड़ो नहीं अपनी हरकतों से।
मुझे रहने दो मेरी मौज में, मुझे छेड़ो नहीं अपनी हरकतों से।
डूबा रहता हूँ अपने ख्यालों में, ख्यालों का कोई छोर नहीं।
रहता हूँ निपट अकेला, यार के सिवाय कोई और नहीं ।
जुदाई सही नहीं जाती, अपनी हरकतों का हूँ मैं मारा।
फिर भी खोयी नहीं आस, रहता हूँ तलाश में यार के प्यार को।
करता हूँ मिन्नतें हजार, जो प्रिय के दरबार से खाली हाथ जाना नहीं।
खेला होगा खेल कइयों से, पर प्यार किया है जो तुझसे ।
मांगता नही हूँ कुछ तुझसे, पर चाहता हूँ दिलोजान से।
प्यार करने आया हूँ, प्यार करना चाहता हूँ तुझको।


- डॉ.संतोष सिंह