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Hymn No. 2276 | Date: 22-Apr-2001
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प्यार प्यार के सिवाय हो न कभी कुछ, जिंदगी गुजर जाये प्यार में।
प्यार प्यार के सिवाय हो न कभी कुछ, जिंदगी गुजर जाये प्यार में।

चले दौर पे दौर सुबह हो या शाम, सुरूर इसका हर पल बढ़ता जाये।

इसके नशे के हम हो जाये इतने आदी, परवाह न करे जीने मरने की।

रहें चूर इसमें इतना, इसका सुरूर झलके निगाहों से हमारी।

चलाये ये कितनी भी दिल पे आरी, पर प्यार का दौर रहे जारी।

भर जाये हममें प्यार इतना, मिट जाये भेद मन से नर नारी का।

जारी रहे नशा तेरी प्यार का, रहे चाहे कितना भी डूबा जमाने में।

रहके किसी के संग नहीं रहना, रमता रहूँ पल पल प्यार में तेरे।

भरा हो दिल में प्यार इतना, जहाँ जाये नजर वो डूब जाये प्यार में ।

मस्ती के जोर से शरारतो का दौर न हो खत्म, जिसको लगे चस्का वो धायल हो जाये इसका।


- डॉ.संतोष सिंह