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Hymn No. 2275 | Date: 21-Apr-2001
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प्रभु कुछ ऐसा करना चाहूँ जो छू जाये तेरे मन को।
प्रभु कुछ ऐसा करना चाहूँ जो छू जाये तेरे मन को।
निकले जुबां से कोई गीत ऐसा, जो गुदगुदा जाये तेरे दिल को।
कभी नैन मटका करते करते, भटक जाऊँ प्रेम राह पे तेरे संग ।
कुछ ऐसा ताना – बाना बुन दूँ, जो उलझ जाये मेरा मन तेरे संग।
दशा कितनी भी बिगडे, पर उतरे न कभी प्रेम का तेरे नशा ।
दर्द हो या खुशी मन न लगे मेरा किसीमें कभी तेरे बिन ।
व्याकुल हूँ जितना मैं व्याकुल हो उतना तू, बजाऊँ प्रेम की बीन ऐसी।
नासमझी भी हो समझ भरी दुष्कर राह पे कर जाऊँ साकार तेरे सपने ।
मस्ती हो इतनी रहे कहीं भी तू, करुँ दीदार पलक झपकते ही।
दे जाऊँ तेरे कार्यों को अंजाम, दिल की धड़कन बनकर गुंजू तेरे दिल में।


- डॉ.संतोष सिंह