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Hymn No. 2272 | Date: 20-Apr-2001
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कुछ कहना चाहता हूँ तुझको, पर शब्द नहीं मिलते।
कुछ कहना चाहता हूँ तुझको, पर शब्द नहीं मिलते।
कुछ ऐसी बात हो जो छू जाये तेरे दिल को।
दिल मसोस के रह जाता हूँ, जब चाहके कुछ कह नहीं पाता।
बिखर जाते है सारे सपने, जो लेकर देखे थे तुझे।
दोष देता नहीं हूँ तुझे, ये तो फल है हमारे कर्मों का।
शर्म से हो जाता हूँ चूर, जब छाता नहीं तेरा सुरूर।
फिर भी समझ नही पाता, तेरे साथ रहके हूँ कितना दूर।
संग तेरे न जाने कितना समय बिताया, फिर भी समझ न पाया।
हाल देखा दिवानो मस्तानो का, फिर भी फनाह होना जान न पाया।
दिल की बात सुन सुनके, दिल को ताब दिलाना न आया।


- डॉ.संतोष सिंह