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Hymn No. 2266 | Date: 18-Apr-2001
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प्यार की बात करता हूँ पर प्यार करता नहीं।
प्यार की बात करता हूँ पर प्यार करता नहीं।
कसम खाता हूँ, पर किये वादों को निभाता नहीं।
रस्में तोड़के पास तेरे आना चाहता हूँ, पर आ पाता नहीं।
खेल खेलना चाहता हूँ आँख मिचौली का, पर खेल पाता नहीं।
जीवन जीना चाहता हूँ स्वच्छंदता का, घिर जाता हूँ आदतों से।
प्रवृत्तियों की ओर मुख करके, गीत गाना चाहता हूँ मस्ती का।
चारों दिशाओं को झकझोर देना चाहता हूँ, आनंद भरे स्वरनादों से।
कण कण को उल्लासित करना चाहता हूँ, परम् प्रेम की याद दिलाके।
बांध देना चाहता हूँ संसार को, बंधना नहीं है किसी में।
कृपा से तेरी करूंगा सब सपने साकार, कमजोर हूँ पर हारा नहीं।


- डॉ.संतोष सिंह