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Hymn No. 2263 | Date: 14-Apr-2001
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जीवन को देख रहा हूँ पल पल ढलते हुये, सपनो को बदलते हुये।
जीवन को देख रहा हूँ पल पल ढलते हुये, सपनो को बदलते हुये।
कही छायी है खुशियाँ तो कही मचा है कोहराम, एक ही पल में जीवन के न जाने कितने रंग।
रंगते है हर पल के अनुरूप मन को हमारे, स्वतः को भूलके बंद हो गये उनके पिंज़ड।
अचानक आया रे कोई जीवन में उल्लास जगाने वास्ते, अपने संग ले जाने वास्ते।
मिले थे कभी अनजाने में राह के किसी मोड़ पे, कर गया घायल नजरों को प्यार से।
वार था इतना गहरा धाव तो भर गया, पर मिटा न दाग जरासा दिल पे से आज तक।
जनमों जनम के बाद आया है बेदर्दी प्यार का पाठ पढाने, न जाने क्यों अब तक था छुपा।
रंग गये जब हम माया के रंग में सर से पैर तक, तब करने लगा प्रेम की बौछार हमपे।
दबा हुआ प्यार उमड़ने लगा प्यार की फुहार पड़ते, फिर से पुकारने लगा दिल यार को।
अब खेल तू मेरे साथ कोई नया खेल, हाथ छुड़ाके माया से लें चल तू अपने साथ।


- डॉ.संतोष सिंह