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Hymn No. 2262 | Date: 13-Apr-2001
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करता हूँ सरेआम ये ऐलान, हमने उतार फेंकी जमाने की हथकड़ी।
करता हूँ सरेआम ये ऐलान, हमने उतार फेंकी जमाने की हथकड़ी।
दर दर ठोकरे खाते घूम रहा हूँ, कहते हुये कि मैं हूँ मारा दिवानगी का।
चुले हिला रहा हूँ परवानगी के जोश में, प्यार में होता नही दोष किसीका।
तूम क्या जानो जो जानोगे तो कर नहीं पाओगे, यूं ही आलम होता हैं मस्ती का।
तरसना सबके बस की बात नहीं, जो तरसने का होता है एक अलग ही मजा।
जमीद़ोज कर दो या आग में जला दो, इस खाक से भी महक आयेगी प्यार की।
सनम कसम है तेरी, मोहब्बत का नाम ना होने दूंगा बदनाम कभी।
मैं किसी के काम आऊँ या ना आऊँ, पर तेरे काम तो आऊँगा जरूर।
हुजुर बक्षना ना किसी भी कीमत पे, करना हलाल प्यार में तेरे जरूर।
बिगड़ती हुयी हर बात बन जायेगी, जो तेरे नाम से जुड़ गया नाम मेरा।


- डॉ.संतोष सिंह