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Hymn No. 2261 | Date: 13-Apr-2001
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ऐं साथी हमको तो ना है कोई साथ गंवारा, जो ना हो साथ तुम्हारा।
ऐं साथी हमको तो ना है कोई साथ गंवारा, जो ना हो साथ तुम्हारा।
आशिक हूँ ना कि दिलफरेब, आशिकी तो है बस तुझीसे।
मयखाने क्यों जाने लगा गम भुलाने, गम के बहाने जो याद आये तेरी।
भरना चाहता हूँ अपनी कोशिशों में कशिश, हो जाऊँ जो तेरी रसिक।
अगर कोई चाहत है मन में, तो वो जुड़ गयी हें तेरा हो जाने से।
दौर लंबा हो या छोटा इंतजार का, कोई गुरेज नही पर ना हो तेरे बगैर।
मशक्कतों से ना है कोई बैर, पर पूरी करूं तेरी जो हर हसरत।
दास्ताँ है मोहब्बत की अगर, तो थोड़ी उलफत हो जरूर।
चाहतो को चाह लेने से मिले जो राहत, तो राहत ना है हमको मंजूर।
चलता रहे दौर मस्ती का, पर उतारे उतरे ना कभी प्यार की कश्ती से।
प्यार तो होता है सोचे बगैर, फिर समझदारी का जामा क्यों पहनाना चाहे तू।


- डॉ.संतोष सिंह