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Hymn No. 2260 | Date: 13-Apr-2001
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बड़ी अजीब बात है, प्रभु इतनी बातें की प्यार कि, पर जगा न पाया दिल में तेरे भाव प्यार का।
बड़ी अजीब बात है, प्रभु इतनी बातें की प्यार कि, पर जगा न पाया दिल में तेरे भाव प्यार का।
आया शर्म अपने आप थी थे कितने क्रूर करम, मोहब्बत करने वालों को जो देख न पाये आज तक हम।
कैसे करूं दिल लगाने कि बात, जो गया गुजरा हूँ इतना, प्राण फूंकने वाले में प्राण फूंक न पाया आज तक।
लज्जा भी लजाये आने से पास मेरे, दिल दिल करने पे भी साथ न पाऊँ दिलदार का।
दाग है इतने दामन में एक खोजोगे तो पाओंगे हजारों जो राह रोक के खड़ाहै प्रियतम की।
बड़ा विचित्र हो गया है हाल मेरा, अपने ही खोदी कब्र में गिरके कर रहा हूँ इंतजार प्यार का।
रोता हूँ अपने हाल पे जो मंजिल के पास रहके हो गया हूँ दूर कितना मंजिल से।
अब जो भी होता है मेरे संग, अफसोस न करके ये सोचता हूँ यही तो होना चाहिये था।
कसम ना दूंगा कोई तुझे, ना कहूँगा कुछ कहने से, भले मर जाऊँगा गम खां
खाके प्यार में तेरे।
पता है मेरा प्यार प्यार नहीं, प्यार तो करते है दिलवाले, तलाश के मिलता नहीं है दिल कही।


- डॉ.संतोष सिंह