VIEW HYMN

Hymn No. 2255 | Date: 12-Apr-2001
Text Size
साथ छोड़ा एक एक करके जमाने ने, न छोड़ा तूने कभी साथ।
साथ छोड़ा एक एक करके जमाने ने, न छोड़ा तूने कभी साथ।
बहुत भटका यहाँ, से वहाँ दुनिया में, पर मिला ठिकांना तेरे पास।
न जाने क्या क्या कहा लोगों ने, फिर भी संवारने कि बात किया तूने।
हालात बद् से बद्तर होते गए जीना हुआ मुहाल, फिर भी ना किया तूने कोई मलाल।
इल्जाम तो जैसे बन चुके थे साया जिंदगी के, फिर भी किया तूने बखान गुणों का।
इक बार नही कई बार भुगता खामियाजा गल्तियों का, फिर भी तूने गले से लगाया।
दम घुटता गया लोग बागो के बीच रहके, सकूंन अहसास करने तू अपने पास दिलाके।
बेरंग सी जिंदगी को घसीटते हुये चलता था, मुस्कराना सिखाया गमों में भी तूने।
सच पुंछो तो आज जो कुछ भी हूँ मैं, ये तेरी कृपा का ही तो फल है।


- डॉ.संतोष सिंह