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Hymn No. 2254 | Date: 11-Apr-2001
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सांवरे। बजा कोई बांसुरी की अप्रतिम, जो हर ले मन को मेरे।
सांवरे। बजा कोई बांसुरी की अप्रतिम, जो हर ले मन को मेरे।
रह न जाये कोई खयाल और ख्वाब मन में, हो धुन जाये जो साकार आज।
परदा है जो तेरे मेरे बीच का, चीर के रख दे तू आज उसे।
कब तक चलता रहेगा खेल तड़पाने का, मिट जाने दे तड़प को जो आज तू।
ऐसी कोई चाहत तो नहीं, जो तू पूरी कर न सके।
उढा हूँ मैं अपनी बातों पे, कमी हैं करने में जो तो तू पूरी करवा ले आज उसे।
बट्टा मार रहा हूँ तेरे नाम का, पड़ जाने दे छाप तेरे दिल पे आज।
कैसे भी करके हो जाने दे, तेरे प्यार में खो जाने दे।
मत देख इतनी बेरुखी से, लग जात है ठेस जो दिल पे।
माना बंदा न हूँ किसी काम का, फिर भी मारा हूँ तेरे प्यार का।


- डॉ.संतोष सिंह