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Hymn No. 2253 | Date: 11-Apr-2001
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कहना चाहता हूँ तुझसे कुछ, अधूरे लगते है शब्द।
कहना चाहता हूँ तुझसे कुछ, अधूरे लगते है शब्द।
अपने भावों का हाल बयाँ करना चाहता हूँ, पूरे पड़ते नही वाक्य।
कैसे समझाऊँ, समझ नहीं आये ये दिल की बात।
समझने समझाने से परे जी भरके करना चाहूँ प्यार।
यार कहाँ हो जाती है चूक, जो जाता हूँ रुक।
दुःख किसी बात का नही, दुःख है अधूरे प्यार का।
बंदा हैरान परेशां है जो पल्ले पड़के तेरी बात करता नही काज।
करता है तू कितना भी ताकीद फिर भी आप का, ले चल तू अपने साथ।
अंत कर देना चाहता हूँ अपने में आप का, ले चल तू अपने साथ।
अब नही आना चाहता हूँ किसी और की बातों में, ले ले तू अपने हाथों में।


- डॉ.संतोष सिंह