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Hymn No. 2247 | Date: 10-Apr-2001
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क्या मेरा तड़पना तड़पना नहीं, जो कर न पाये मजबूर तुझे।
क्या मेरा तड़पना तड़पना नहीं, जो कर न पाये मजबूर तुझे।
क्या मेरे दिल का धडकना धडकना नहीं, जो बुला न पाये पास तुझे।
मजबूरी क्या है ऐसी मेरी, जो मिटा न पाये मजबूरी तेरी।
ऐसा कैसा है मेरा प्रेम, जो अब तक दूर रहने दिया तुझको।
क्या मेरे विश्वास में है कमी, जो न आने दे तुझे पास मेरे।
दास तो तेरी दासता की बात है करता न कि तुझसे दूर होने की।
मेरी आस्था में ऐसी क्या कमी है, जो तू उसे मिटा न पाये।
क्या मेरा ज्ञान जानता तू नही, जो अब तक बना हुआ है अनजान।
क्या मेरा राग राग नही, जो तेरे अनुराग को अपना बना न पाये।
किस बात की है देर जो अब तक तू देर सबेर किये जा रहा है।


- डॉ.संतोष सिंह