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Hymn No. 2246 | Date: 10-Apr-2001
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प्रभु दे दे दिल पे कोई चोट इतनी गहरी, जो भुलाये न भूलूँ तुझको।
प्रभु दे दे दिल पे कोई चोट इतनी गहरी, जो भुलाये न भूलूँ तुझको।
काट देना उस वास्ता को बेहिचक, जो मुख मोड़ दे जाते हुये तेरी ओर राह को।
सताना तू इतना रोम रोम मेरा चित्कार कर उठे, मन फिर न भागे कही और।
छूट है तुझे लगाना तू कितना भी जोर, पर मेरे दिल में खिले फूल को मुरझाने न देना।
माना मुझसे गया गुजारा नहीं कोई जमाने में, पर तुझे भी मिला है मौका नाम कमाने का।
शर्मशार हो जाऊँ कितना भी, पर तू न मेरा पीछा छोड़ना कभी।
कह सकता है तू तुझे क्या, सदियों से बिछड़ो हुओ को जो मिल जायेगा तू।
तेरा कुछ न जायेगा पर तेरे बहाने में कुछ पा जाऊँगा।
जो बात बनती ना थी मुझसे, तेरे बहाने बन जायेगी सदा के वास्ते।
होगा न तेरे वास्ते जरूरी, पर कर देना तू दूर ये दूरी और मेरी मजबूरी।


- डॉ.संतोष सिंह