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Hymn No. 2245 | Date: 10-Apr-2001
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ऐ न होगा, वो न होगा को भुलाके दिल को करने में लगाना है।
ऐ न होगा, वो न होगा को भुलाके दिल को करने में लगाना है।
करे हुये के परिणाम से परे रहके पुरूषार्थ से करते जाना है।
अथक प्रयासों पे गिरेगी जो बूंद कृपा की, लहलहा उठेगे एक संग।
चुपचाप सौंप देना है जिसने दिया उसको, मन में बज उठेगी चैन की बंसी।
कोई न मलाल होगा, जो दिल का हर सपना साकार होगा।
मन की राहो पे से एक एक करके सारे रोड़ो को हटाना है।
सधे हुये कदमों से आगे बढ़ते जाना है, ठोकर पे न घबराना है।
कौन क्या कहता है या करता है परवाह किये बगैर रम जाना है।
नम्रता से नमी भरे आँखो से उसके इंतजार में पलके बिछाये रखना है।
करने को वो जो करे स्वीकार करके, मेहरबानियों पे धन्यवाद देते जाना है।


- डॉ.संतोष सिंह