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Hymn No. 2241 | Date: 09-Apr-2001
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है बेरहम कितना जाना मैं आज लोगों ने तो किया जुल्म दुश्मनों पे।
है बेरहम कितना जाना मैं आज लोगों ने तो किया जुल्म दुश्मनों पे।
हमने तो कहर डाला अपनो पे, ये भी न सोचा लुटाया था प्यार उन्होंने
आंखो से भी न उफ किया, मुस्कराते हुये सहते गये हमारी बेवफाई वे
बेहयायी कि हद कर दी उसके ही सामने दौड़ते फिरे कामनाओं के पीछे।
याद रहते हुये भी, बंद कर लिया अपने अंतर की आँखो को।
जब पहाड़ टूटा कर्मो का तब रोना रोया उसके प्यार का।
रोम रोम को बिंघा था हमने, हल्की सी चपत से घबरा गये।
बड़ा बनता फिरता था, पर अपनी औकात पे आ गये।
न ये कर सका, न वो दूसरों के माथे पे इल्जाम लगा बैठे।
फिर भी उसने फेरा हाथ, हल्की सी चपत प्यार की लगाके दिलाया विश्वास।


- डॉ.संतोष सिंह